इस्लाम में फ़िरक़ा परस्ती

इस्लाम में फ़िरक़ा परस्ती

  • Apr 14, 2020
  • Qurban Ali
  • Tuesday, 9:45 AM

फ़िरका प्रणाली या 73 संप्रदायों की अवधारणा मुस्लिम सांप्रदायिक नीतिशास्त्र के सबसे चिरस्थायी विषयों में से एक है। पैगंबर मुहम्मद ( सल्लल्लाहु अलैहि सल्लम ) के एक बयान के रूप में, जो अबू हुरैरह द्वारा सुनाई गई थी कि अल्लाह के दूत ने कहा, "यहूदी 71 संप्रदायों, या 72 संप्रदायों और ईसाइयों में इसी तरह विभाजित हो गए, और मेरा उमाह 73 पंथों में विभाजित हो जाएगा।" (शाहीह अल-बुखारी) पवित्र कुरान में, अल्लाह ने मुसलमानों को अपने धर्म को संप्रदायों में विभाजित नहीं करने का निर्देश दिया क्योंकि यह अल्लाह की आज्ञा के खिलाफ है और जो लोग धर्म को विभाजित करते हैं और खुद को आदर्श-उपासक मानते हैं, लेकिन वास्तव में उनका अल्लाह के धर्म के साथ कोई लेना-देना नहीं हैं। अपने धर्म को विभाजित करना संप्रदाय के नाम के लिए एक अक्षम्य पाप है। "जिन लोगों ने अपने धर्म के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और स्वयं गिरोहों में बँट गए, तुम्हारा उनसे कोई सम्बन्ध नहीं। उनका मामला तो बस अल्लाह के हवाले है। फिर वह उन्हें बता देगा जो कुछ वे किया करते थे।" (क़ुरान ६:१५९) यह भी दावा किया जाता है कि 73 संप्रदायों में से केवल एक ही संप्रदाय स्वर्ग में प्रवेश करेगा और बाकी वे हैं जो मुस्लिम होने का दावा करते हैं लेकिन वास्तव में वे खो गए हैं और नरक में ईंधन के रूप में काम करेंगे। लेकिन धर्म को विभाजित करने की निंदा अल्लाह द्वारा की गयी है। "उन्होंने तो परस्पर एक-दूसरे पर ज़्यादती करने के उद्देश्य से इसके पश्चात विभेद किया कि उनके पास ज्ञान आ चुका था। और यदि तुम्हारे रब की ओर से एक नियत अवधि तक के लिए बात पहले निश्चित न हो चुकी होती तो उनके बीच फ़ैसला चुका दिया गया होता। किन्तु जो लोग उनके पश्चात किताब के वारिस हुए वे उसकी ओर से एक उलझन में डाल देनेवाले संदेह में पड़े हुए हैं।" (क़ुरान ४२:१४ )

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